लोकसभा ने सोमवार को नया इनकम टैक्स बिल 2025 पास कर दिया। इससे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इनकम-टैक्स (नं. 2) बिल को फिर से पेश किया, जिसे कुछ दिन पहले सरकार ने वापस ले लिया था ताकि लोकसभा की सेलेक्ट पैनल की अहम सिफारिशें शामिल की जा सकें।
इसके साथ ही, टैक्सेशन लॉज (अमेंडमेंट) बिल भी पारित हुआ, जिसका मकसद यूनिफाइड पेंशन स्कीम के सब्सक्राइबर्स को टैक्स छूट देना है।
दोनों बिल बिना बहस के वॉइस वोट से पास हो गए, जबकि विपक्ष कई मुद्दों पर जोरदार विरोध कर रहा था।
सीतारमण ने बताया कि सरकार ने सेलेक्ट कमेटी की लगभग सभी सिफारिशें नए इनकम टैक्स बिल में शामिल कर ली हैं। यह नया कानून 1961 के पुराने इनकम टैक्स एक्ट की जगह लेगा।
क्यों वापस लिया गया पुराना बिल?
पुराना ड्राफ्ट 8 अगस्त को पेश हुआ था, लेकिन उसे तुरंत सेलेक्ट कमेटी को भेज दिया गया। चार महीने की गहन समीक्षा के बाद, कमेटी ने 4,500 पेज की रिपोर्ट में 285 से ज्यादा सिफारिशें दीं। इसका मकसद कानून की भाषा आसान बनाना, प्रावधानों में स्पष्टता लाना और टैक्सपेयर्स के लिए नियमों को सिंपल करना था।
नया बनाम पुराना इनकम टैक्स कानून – क्या बदलेगा?
- 536 सेक्शन और 16 शेड्यूल – साफ-सुथरे तरीके से व्यवस्थित
- एक ही “टैक्स ईयर” – अब “प्रीवियस ईयर” और “असेसमेंट ईयर” का झंझट खत्म
- बेकार और विरोधाभासी प्रावधान हटाए जाएंगे, जिससे मुकदमेबाजी कम होगी
- CBDT को ज्यादा पावर – डिजिटल दौर के मुताबिक नियम बनाने की सुविधा
- आसान भाषा और क्लियर स्ट्रक्चर, ताकि आम आदमी भी आसानी से समझ सके
सेलेक्ट कमेटी की अहम सिफारिशें
- लेट फाइलिंग पर भी रिफंड का हक
- डिविडेंड पर राहत – इंटर-कॉरपोरेट डिविडेंड पर ₹80M कटौती दोबारा लागू
- NIL-TDS सर्टिफिकेट – टैक्स देनदारी न होने पर एडवांस में मिलेगा सर्टिफिकेट
- खाली मकान पर टैक्स राहत – सिर्फ वास्तविक किराया टैक्स में गिना जाएगा
- हाउस प्रॉपर्टी डिडक्शन में स्पष्टता – म्युनिसिपल टैक्स घटाने के बाद 30% स्टैंडर्ड डिडक्शन
- MSME की परिभाषा का संरेखण – MSME एक्ट के अनुरूप
- भाषा और ड्राफ्टिंग सुधार – सेक्शन नंबरिंग और टर्मिनोलॉजी में बदलाव
- पेंशन लाभ का विस्तार – गैर-कर्मचारी व्यक्तियों को भी कम्यूटेड पेंशन डिडक्शन
एक्सपर्ट्स की राय
राजेश गांधी, पार्टनर, डेलॉइट इंडिया ने कहा –
“नए बिल में विदेशी पेंशन फंड और सॉवरेन फंड के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में निवेश पर टैक्स लाभ पुराने कानून जैसे हैं, लेकिन ड्राफ्टिंग ज्यादा साफ है। हालांकि, कुछ इंडस्ट्री सुझाव भी शामिल किए जा सकते थे जैसे डिविडेंड इनकम पर डबल टैक्सेशन से बचाव, अनलिस्टेड बॉन्ड/डेबेंचर पर कैपिटल गेन छूट आदि।”
दिनेश कनाबार, CEO, ध्रुवा एडवाइजर्स ने कहा –
“कई स्वागतयोग्य बदलाव हुए हैं। LLP पर AMT खत्म, चैरिटेबल ट्रस्ट पर सख्ती हटाई गई, ट्रांसफर प्राइसिंग और एसोसिएटेड एंटरप्राइज की परिभाषा में राहत दी गई। यह अच्छा है कि सेलेक्ट कमेटी को दिए गए सुझावों का असर दिख रहा है।”
FAQs
नया इनकम टैक्स बिल, 2025 में सबसे बड़ा बदलाव क्या है?
नए बिल में पुराने इनकम टैक्स एक्ट, 1961 को पूरी तरह बदलकर आसान भाषा और क्लियर स्ट्रक्चर लाया गया है। अब “प्रीवियस ईयर” और “असेसमेंट ईयर” की जगह एक ही “टैक्स ईयर” होगा, बेकार प्रावधान हटाए गए हैं और CBDT को डिजिटल दौर के मुताबिक नियम बनाने की ज्यादा पावर दी गई है।
क्या टैक्सपेयर्स के लिए रिफंड पाना अब आसान होगा?
हाँ, सेलेक्ट कमेटी की सिफारिश के बाद, जो टैक्सपेयर्स लेट फाइलिंग करेंगे, उन्हें भी रिफंड का हक मिलेगा। पहले लेट फाइलिंग पर रिफंड का अधिकार सीमित था, लेकिन अब यह नियम सभी पर लागू होगा।
खाली मकान और हाउस प्रॉपर्टी डिडक्शन में क्या बदलाव आएगा?
अब खाली पड़े मकानों पर केवल वास्तविक किराया (नॉटशनल रेंट नहीं) टैक्स में गिना जाएगा। साथ ही, हाउस प्रॉपर्टी पर म्युनिसिपल टैक्स घटाने के बाद 30% स्टैंडर्ड डिडक्शन और किराए पर दिए गए मकानों पर इंटरेस्ट डिडक्शन की सुविधा भी जारी रहेगी।
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